वैशाख शुक्ल पक्ष की अन्तिम तीन तिथियाँ पुष्करिणी कहलाती हैं।इसमे त्रयोदशी चतुर्दशी और पूर्णिमा की गणना की जाती है।
कथा --
----- प्राचीन काल मे वैशाख शुक्ल एकादशी को समुद्र-मन्थन से अमृत प्रकट हुआ था।द्वादशी को भगवान श्रीहरि ने उसकी सुरक्षा की थी।त्रयोदशी को उन्होंने देवताओं को अमृत-पान कराया।चतुर्दशी को सभी दैत्यों का संहार किया था।इसके फलस्वरूप पूर्णिमा को देवताओं को देवलोक का साम्राज्य प्राप्त हुआ था।अतः सभी देवताओं ने इन तीन तिथियों को वरदान दिया था।इसीलिए ये तीनों तिथियाँ पुष्करिणी नाम से प्रसिद्ध हो गयीं।
विधि --
----- यदि कोई व्यक्ति पूरे वैशाख मास भर स्नान करने मे असमर्थ हो तो वह केवल इन्हीं तीन तिथियों मे प्रातः स्नान कर ले तो उसे पूरे वैशाख स्नान का फल मिल जाता है।
माहात्म्य ---
---------- इन तीन तिथियों मे प्रातः स्नान करने से मनुष्य निष्पाप होकर धन धान्य पुत्र पौत्र आदि का पूर्ण सुख प्राप्त करता है।
Wednesday, 9 March 2016
पुष्करिणी
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