Saturday, 5 March 2016

शिव जी को प्रिय पत्र-पुष्प

          शिव जी के पूजन मे अन्य पदार्थों की अपेक्षा पुष्पों की अत्यधिक महत्ता है।शास्त्रों मे अनेक ऐसे पुष्पों का उल्लेख हुआ है ; जो अधिकाधिक पुण्यदायक होते हैं।यहाँ शिव जी को प्रिय कुछ पुष्पों का उल्लेख किया जा रहा है --
1-- शिव जी को एक आक-पुष्प समर्पित करने से दस सुवर्ण-दान का फल प्राप्त होता है।
2-- एक हजार आक-पुष्पों को चढ़ाने से जो फल प्राप्त होता है ; वह एक कनेर-पुष्प चढ़ाने से मिल जाता है।
3-- एक हजार कनेर पुष्पों के बराबर एक बिल्व-पत्र माना जाता है।
4-- एक हजार बिल्व-पत्रों के बराबर एक द्रोण-पुष्प पुण्यदायक होता है।
5-- एक हजार द्रोणपुष्पों के बराबर एक चिचड़ा माना गया है।
6-- एक हजार चिचड़े के बराबर पुण्यदायक एक कुश का फूल होता है।
7-- एक हजार कुश-पुष्प के बराबर शमी का एक पत्ता पुण्यदायक है।
8-- एक हजार शमीपत्र के बराबर एक नीलकमल होता है।
9-- एक हजार नीलकमलों से अधिक पुण्यदायक एक धतूरा माना गया है।
10-- एक हजार धतूरों से भी अधिक पुण्यदायक शमी का एक पुष्प माना गया है।
11-- यद्यपि शास्त्रों मे अनेक पुष्पों की महत्ता बतलाई गयी है किन्तु शिव-पूजन के लिए नीलकमल की विशिष्ट महत्ता है।
            इन पुष्पों के अतिरिक्त कटेरी ; कुरैया ; अपराजिता ; कुब्जक ; शंखपुष्पी ; चमेली ; खस ; तगर ; नागकेसर ; शीशम ; जयन्ती ; बेला आदि सुगंधित पुष्प भी शिव जी को अत्यधिक प्रिय हैं।
शिव जी को निषिद्ध पुष्प ---
    --------------------------        शिव जी को जो पुष्प प्रिय नहीं हैं ; उन्हें शिवपूजन मे नहीं लेना चाहिए।शास्त्रों मे बताया गया है कि केवड़ा ; शिरीष ; तिन्तिणी ; कोष्ठ ; कैथा ; गाजर ; कपास ; पत्रकंटक ; बहेड़ा ; गंभारी ; सेमल ; अनार ; केतकी ; धव ; जूही ; मदन्ती ; सर्ज आदि के फूल शिव जी को नहीं चढ़ाने चाहिए।
नोट --
----      मौलसिरी ; कदम्ब और कुन्द के फूलों पर पर्याप्त मतभेद है।कहीं इन्हें शिव प्रिय बताया गया है तो कहीं निषिद्ध किया गया है।उपर्युक्त अन्य पुष्प सर्वसम्मत से ग्राह्य हैं।

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